क्या शादीशुदा लोग बन सकते हैं नागा साधु? गृहस्थ लोगों के लिए ये हैं नियम

प्रयागराज में महाकुंभ का आज दूसरा दिन है. संगम तट के पास आपको हर कहीं नागा साधुओं का जमावड़ा देखने को मिलेगा. देश के कोने-कोने से यहां नागा साधु गंगा स्नान के लिए पहुंचे हैं. लोगों के बीच ये नागा साधु आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. लोग इनका आशीर्वाद ले रहे हैं. आखिर नागा साधु को इतना क्यों माना जाता है, क्यों लोग अपनी ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़ नागा साधु बन जाते हैं और कौन लोग नागा साधु बन सकते हैं, इसके बारे में आज हम आपको बताएंगे.

लोगों के मन में अमूमन ये सवाल जरूर उठता है कि नागा साधु कौन बनता है? क्या शादीशुदा लोग नागा साधु बन सकते हैं? तो इसका जवाब है- हां. शादीशुदा लोग भी नागा साधु बन सकते हैं. हालांकि, नागा साधु बनने के लिए कड़ी परीक्षा से गुजरना होता है. नागा साधु बनने के लिए सांसारिक मोह-माया त्यागनी पड़ती है और पूरी जिंदगी भगवान की भक्ति में लीन रहना होता है.

नागा साधु बनने की प्रक्रिया

नागा साधु बनने के लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती है. 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. अपने गुरु को यकीन दिलाना होता है कि वह इसके लिए योग्य हैं और अब ईश्वर के प्रति समर्पित हो चुकी हैं. अपने सारे रिश्ते-नाते तोड़कर खुद को भगवान के प्रति समर्पित करना पड़ता है. नागा साधु बनने के लिए अखाड़े में प्रवेश के बाद ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है.

क्या है नागा का असली मतलब?

धर्म के रक्षक नागा साधु नागा शब्द की उत्पत्ति के संबंध में कुछ विद्वानों का मानना है कि यह संस्कृत के नागा से आया है. इसका अर्थ पहाड़ होता है. नागा साधुओं का मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और शास्त्रों के ज्ञान में निपुण होना है. वे अखाड़ों से जुड़े हुए होते हैं और समाज की सेवा करते हैं साथ ही धर्म का प्रचार करते हैं. ये साधू अपनी कठोर तपस्या और शारीरिक शक्ति के लिए जाने जाते हैं. नागा साधु अपने शरीर पर हवन की भभूत लगाते हैं. नागा साधु धर्म और समाज के लिए काम करते हैं.

कैसे बनती है भभूत

नागा साधु जिस भभूत को शरीर पर लगाते हैं, वो लम्बी प्रक्रिया के बाद तैयार होती है. हवन कुंड में पीपल, पाखड़, रसाला, बेलपत्र, केला व गऊ के गोबर को भस्म करते हैं. उसके बाद जाकर वो भभूत तैयार होती है.