संगीता बलवंत ने नेहरू के जन्मदिन पर बाल दिवस मनाने पर उठाए सवाल, कही ये बात

 

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता डॉक्टर संगीता बलवंत ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर बाल दिवस मनाने पर उठाए सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि जिनके नाम पर बाल दिवस मनाया जाता है, उनकी देश में क्या भूमिका रही. वीर बहादुर दिवस पर बोलते हुए सांसद ने ये बात कही.

उन्होंने कहा कि देश के पांच प्रधानमंत्रियों को अब तक भारत रत्न दिया गया है, जिसमें से तीन प्रधानमंत्री एक ही परिवार के रहे हैं, इनमें पूर्व पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम शामिल हैं. उन्होंने कहा कि नेहरू और इंदिरा गांधी ने अपने जीते जी भारत रत्न ले लिया, लेकिन लेकिन बाबा भीमराव आंबेडकर जिनका देश के संविधान निर्माण में बड़ा योगदान है उनको भारत रत्न नसीब नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि भीमराव आंबेडकर को बीजेपी ने भारत रत्न दिया.

‘गुरु गोविंद सिंह के बेटों ने देश के लिए किया त्याग’

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब देश में मुगलों का आतंक था, तब सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा की स्थापना की. उनके चार बेटों ने देश के लिए सब कुछ त्याग और उनके दो पुत्र फतेह सिंह और जोरावर सिंह ने अपने धर्म के लिए अपनी जान का न्योछावर कर दी. सांसद ने कहा कि उन्होंने जान देना मंजूर किया लेकिन धर्म परिवर्तन नहीं किया न ही मुगलों के आगे घुटने टेके.

14 नवंबर को मनाया जाता है बाल दिवस

दरअसल 14 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन होता है. इसी दिन देशभर में बाल दिवस मनाया जाता है. वहीं 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल की थी. वीर बाल दिवस खालसा के चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है.

कौन हैं संगीता बलवंत ?

वहीं बात करें संगीता बलवंत की तो साल 2022 में सदर सीट से विधायक बनने के बाद सभापति महिला एवं बाल विकास समिति उत्तर प्रदेश शासन बनी थीं. उन्होंने सहकारिता राज्य मंत्री बनने के बाद सहकारिता के क्षेत्र में भी डूब रहे सहकारी क्षेत्र के बैंकों को उबारने का काम किया था. संगीता बलवंत की शिक्षा एलएलबी, बीएड, पीएचडी मध्यकालीन इतिहास से रहा है. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सुर सम्मान 2013, दलित साहित्य अकादमी की तरफ से विरांगना सावित्रीबाई फुले अवार्ड समेत कई सम्मान से नवाजा गया है.