स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा- यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से पूरी तरह हट जाएगा रासायनिक कचरा

भोपाल। यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में 40 वर्षों से दफन जहरीले कचरे के अंतिम निपटान की प्रक्रिया तेज हुई है। इस बीच बड़ा सवाल है कि क्या अभी हटाए जा रहे कचरे के बाद फैक्ट्री इस कचरे से पूरी तरह मुक्त हो जाएगी। नईदुनिया ने जनता के इस मुद्दे पर गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह से सवाल पूछे।

उनका कहना था कि यूका का 40 वर्ष पुराना जहरीला कचरा समाप्त किया जाना मतलब एक काला अध्याय का खत्म होना है। उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए पूरी कार्यवाही की जा रही है। यह मेरे पद पर रहते हुए हो रहा है, यह मेरे लिए व्यक्तिगत गर्व का विषय भी है। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…

प्रश्न : यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में किस तरह का कचरा था, जिसे नष्ट करने के लिए भेजा जा रहा है?

उत्तर : दो-तीन दिसंबर 1984 की रात में हुई मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसाव के बाद का यह रासायनिक कचरा है। न्यायालय के आदेश तीन दिसंबर 2024 के परिपालन में यह रासायनिक कचरा पीथमपुर में जलाया जाना है।

प्रश्न : 337 टन कचरा हटने के बाद क्या यह फैक्ट्री जहरीले कचरे से पूरी तरह मुक्त हो गई है?

उत्तर : जी हां यह हम मान सकते हैं कि रासायनिक कचरे से कारखाना पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। दरअसल 40 वर्ष पुरानी त्रासदी का मामला 20 साल से न्यायालय में चल रहा है। यहां कुल 347 टन कचरा था, जिसमें से 10 टन पहले जलाया जा चुका है और अब बाकी का भी जल्द से जल्द जला दिया जाएगा।

प्रश्न : मिट्टी और भूमिगत जल में जहर और भारी धातुओं का जो असर है, उसे दूर करने की कोई कार्ययोजना बनी है या नहीं?

उत्तर : वर्तमान में उच्च न्यायालय के आदेश कचरे का निष्पादन करने के हैं। नईदुनिया ने जो बिंदु बताए हैं, यदि इस पर न्यायालय कोई आदेश देता है तो भविष्य में कार्रवाई करेंगे। हालांकि विज्ञानियों द्वारा मिट्टी व जल के पूर्व में नमूने लेकर जांच की गई है।

प्रश्न : कचरा जलाने की रिपोर्ट सकारात्मक होने के बाद भी लोग विरोध कर रहे हैं, उनसे बातचीत क्यों नहीं की जा रही है?

उत्तर : कहीं कोई विरोध नहीं किया जा रहा है। अभी धार, भोपाल के कलेक्टर ने प्रतिवेदन दे दिए हैं। 2015 में जो कचरा जलाया गया था, उसकी रिपोर्ट उपलब्ध है। किसी भी तरह का कोई पर्यावरण नुकसान इससे नहीं हुआ है। स्थानीय नागरिक, किसानों से बातचीत की गई है। हम भरोसा दिला रहे हैं कि कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा।