अच्छी पहल: बड़े भाई की 13वीं पर होने वाले खर्च से सरकारी अस्पताल में आईसीयू शुरू करेंगे एमपी के ऊर्जा मंत्री

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के चंबल अंचल में तेरहवीं सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय है। तेरहवीं से सात दिन पहले समाज के लोग बैठकर निर्देशित करते हैं कि कितनी बोरी शक्कर की तेरहवीं होगी।

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी मुरैना जिले की अंबाह तहसील के मूल निवासी हैं। ऊर्जा मंत्री व उनके परिवार ने सामाजिक प्रथा के विपरीत अपने ज्येष्ट भ्राता पूर्व नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र सिंह तोमर की बड़े स्तर पर तेरहवीं नहीं करने का निर्णय लिया है।

तेरहवीं पर होने वाले खर्च से हजीरा सिविल हॉस्पिटल में जनकल्याण सेवा समिति के माध्यम से आईसीयू शुरू करने का फैसला किया है। यह काम 1 जनवरी 2025 से होगा।

12 दिन पहले हुआ था निधन, लंबी बीमारी से जूझ रहे थे

  • इस अच्छी पहल के तहत डॉक्टरों सहित अन्य स्टाफ व चिकित्सकीय उपकरणों की व्यवस्था आउटसोर्स से की जाएगी। साथ ही वे एक-एक रुपये का जनसहयोग भी लेंगे।
  • ऊर्जा मंत्री के बड़े भाई देवेंद्र सिंह तोमर लंबे समय से फेफड़ों में संक्रमण की बीमारी से पीड़ित थे। 12 दिन पूर्व भोपाल में इलाज के दौरान उनका आकस्मिक निधन हो गया।
  • ऊर्जा मंत्री ने भाई के निधन पर कहा था कि मेरे राजनीतिक करियर का आधारस्तंभ बड़े भाई देवेंद्र सिंह तोमर की हालत बिगड़ने पर हैदराबाद ले जाने का फैसला किया। हैदराबाद से एयर एंबुलेंस बुलाने की व्यवस्था की।
  • पैसा भी जमा कर दिया, लेकिन एन वक्त पर एयर एंबुलेंस संचालकों ने यह कहकर हाथ खड़े कर दिये कि एयर एंबुलेंस सुबह नहीं शाम को आ पाएगी। उस समय स्वयं को बहुत ही असहाय महसूस कर रहा था।
  • संकट की घड़ी में पैसा और पावर दोनों ही काम नहीं आ रहे थे। मुख्यमंत्री से आग्रह कर एयर एबुलेंस की व्यवस्था हुई। रास्ते में ही भाई की हालत और बिगड़ने पर भोपाल में एयर एंबुलेंस को लैंड करना पड़ा। जहां उनका निधन हो गया।

कोरोना काल में बना था आईसीयू, अभी बंद पड़ा

तोमर ने बताया कि अंचल में बड़े स्तर पर तेरहवीं करना का प्रचलन हैं, लेकिन इसके विपरीत उनके परिवार ने निर्णय लिया है कि तेरहवीं व इलाज पर होने वाले खर्च से हजीरा स्थित सिविल हॉस्पिटल में आईसीयू संचालित करेंगे। यहां पर कोरोना संक्रमण काल में आईसीयू बनाया गया था, जो कि बंद है।

उपकरणों पर भी धूल जमा हो रही है। कारण सिविल हॉस्पिटल में आईसीयू संचालित करने के लिए चिकित्सक व अन्य स्टाफ की मंजूरी शासन स्तर पर लेनी पड़ती है।