सीरिया में अचानक महज 11 दिनों में बशर अल-असद की सरकार का तख्तापलट कर दिया गया. 27 नवंबर को विद्रोही गुटों ने अलेप्पो शहर पर हमला किया और महज 4 दिनों में सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर पर कब्जा कर लिया. विद्रोहियों ने 5 दिसंबर को हामा और 7 दिसंबर को होम्स शहर पर नियंत्रण हासिल कर लिया. इसके बाद 8 दिसंबर को विद्रोही राजधानी दमिश्क में घुसे तब तक बशर अल-असद देश छोड़ने की तैयारी कर चुके थे.
कुछ ही घंटों में असद के मॉस्को भाग जाने की खबर मिली और विद्रोहियों ने जीत का ऐलान कर दिया. सीरिया से दिल्ली लौटे एक भारतीय ने दमिश्क की सड़कों का आंखों देखा हाल सुनाया है. भारत सरकार सीरिया में घट रहे हालातों पर नज़र बनाए हुए थी और वहां रह रहे भारतीयों के संपर्क में थी. हालांकि सीरिया में 100 से भी कम भारतीय थे लिहाजा सरकार ने जल्द उन्हें सुरक्षित निकालने की तैयारी कर ली.
दमिश्क की सड़कों का आंखों देखा हाल
सीरिया से भारत लौटे भारतीय नागरिक रवि भूषण ने बताया कि सीरिया में उनकी बिजनेस मीटिंग थी, वह वहां करीब एक हफ्ते के लिए थे. लेकिन दो दिन बाद ही अचानक वहां अशांति फैल गई. स्थानीय लोग बाज़ारों और सड़कों पर AK 47 बंदूकें लेकर घूम रहे थे, वे गाड़ियों को लूट रहे थे. रवि ने बताया कि यह मंजर देखकर वह काफी डर गए थे.
उन्होंने कहा कि, ‘यह वाकई डरावना था, क्योंकि हमने पहले कभी इतने लोगों को खुले में हथियार लेकर घूमते नहीं देखा था, गोलीबारी और बमबारी भी हो रही थी. दूतावास लगातार हमारे संपर्क में था और हमें प्रोत्साहित कर रहा था कि आप लोगों को घबराने की ज़रूरत नहीं है. जैसे ही स्थिति थोड़ी सामान्य हुई, उन्होंने हमें बचाने की योजना बनाई.’
सीरिया से जल्द लौटेंगे सभी भारतीय
रवि ने बताया कि सीरिया में कुल 74 भारतीय थे, सीरिया से लौटने वाले वह पहले शख्स हैं. बाकी लोग अभी भी होटल में हैं और भारत सरकार उनके लिए टिकट और सारी सुविधाओं का इंतज़ाम कर रही है. जानकारी के मुताबिक बाकी भारतीय भी जल्द भारत लौटेंगे.