सर्दियों में इतनी सस्ती हुई सब्जियां और घट गई महंगाई, नवंबर में 5.48% पर आई

भारत की खुदरा महंगाई दर नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई, जो अक्टूबर में 6 प्रतिशत के ऊपर पहुंच गई थी. यह गिरावट ताजा फसल के बाजार में आने और सब्जियों की कीमतों में नरमी के कारण देखी गई है. सब्जियों की कीमतों में अक्टूबर की तुलना में साल-दर-साल वृद्धि दर 42.18 प्रतिशत से घटकर 29.33 प्रतिशत पर आ गई, जिससे रिटेल महंगाई में कमी दर्ज की गई.

भारत की खुदरा महंगाई दर नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई, जो अक्टूबर में 6 प्रतिशत के ऊपर पहुंच गई थी. यह गिरावट ताजा फसल के बाजार में आने और सब्जियों की कीमतों में नरमी के कारण देखी गई है. सब्जियों की कीमतों में अक्टूबर की तुलना में साल-दर-साल वृद्धि दर 42.18 प्रतिशत से घटकर 29.33 प्रतिशत पर आ गई, जिससे रिटेल महंगाई में कमी दर्ज की गई.

कीमतों आई स्थिरता ने बदला गेम

सब्जियों और खाद्य तेलों की कीमतों में स्थिरता महंगाई में गिरावट का मुख्य कारण रही. सितंबर में खाद्य तेलों पर लगाए गए अतिरिक्त आयात शुल्क के असर के बावजूद, अब इनकी कीमतों में स्थिरता के संकेत मिल रहे हैं. बोफा सिक्योरिटीज के आर्थिक अनुसंधान प्रमुख राहुल बाजोरिया के अनुसार, “सब्जी की कीमतों में नरमी और खाद्य तेल की कीमतों के स्थिर होने से उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है.”

हालांकि, महंगाई पर चिंताएं पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए महंगाई दर का अनुमान 4.8 प्रतिशत किया है, जो पहले 4.5 प्रतिशत था. आरबीआई के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चौथी तिमाही में महंगाई के दबाव में कमी आने की उम्मीद है, लेकिन वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही तक खाद्य महंगाई ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती है.

मौद्रिक नीति की बैठक ने निभाया रोल

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने पिछले सप्ताह वित्त वर्ष के विकास दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है. समिति ने यह भी संकेत दिया है कि महंगाई के दबाव कम होने पर आने वाले महीनों में दरों में कटौती की संभावना बन सकती है.

भारत जैसे देश में, जहां अधिकांश परिवारों का बजट खाद्य व्यय पर आधारित है, महंगाई में गिरावट उपभोक्ताओं के लिए राहतभरी खबर है. हालांकि, मौसमी बदलाव और भू-राजनीतिक जोखिम महंगाई पर भविष्य में असर डाल सकते हैं.