Tata-Reliance जैसी कंपनियों के नाम पर नहीं ठगे जाएंगे आप, इस एक फैसले से लगेगी स्कैमर्स की वाट

नामी गिरामी कंपनियों के नाम पर आने वाले मैसेज में शामिल लिंक साइबर अपराधियों का हथियार भी हो सकते हैं. इसके बावजूद मोबाइल उपभोक्ता भ्रमित होते हैं और लिंक पर क्लिक कर गाढ़ी कमाई गवां बैठते हैं. इसके चलते सरकार ने सभी कंपनियों से कहा है कि वो कोई भी लिंक या मैसेज एंक्रिप्टेड ऐप के जरिए भेजें. ऐसे में आने वाले दिनों में कंपनियां मैसेज में विज्ञापन समेत अन्य सामान्य मैसेज भेजेंगी, लेकिन कोई सुरक्षित मैसेज एंक्रिप्टेड ऐप के जरिए ही भेजा जाएगा.

अगर अंबानी और अडानी जैसी बड़ी कंपनी के नाम पर कोई स्कैमर आपको मैसेज भेजता है जिसमें लिंक भी है तो अलर्ट हो जाएं क्योंकि अब नामी कंपनियां मैसेज के साथ लिंक नहीं भेजेंगी, फिर भी आपके पास मैसेज आया है तो समझ जाइए कि कोई स्कैमर इन कंपनियों के नाम पर आपको ठगने की कोशिश कर रहा है.

केंद्र सरकार के टेलीकॉम, सूचना एवं प्रौद्योगिकी और गृह मंत्रालय समेत अन्य एजेंसियां साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में लगातार कदम उठाती हैं. इसके बावजूद साइबर अपराधी लोगों को भ्रमित करने का रास्ता निकाल लेते हैं. आईटी मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, सरकार लगातार लोगों को जागरुक करने संबधी अभियान चला रही है कि अनजान मैसेज, ईमेल या अन्य माध्यम से प्राप्त लिंक पर क्लिक नहीं करें.\

इसके बावजूद लोग भ्रमित हो जाते हैं और इसमें सबसे बड़ी तादाद मैसेज में भेजे गए लिंक से संबंधित है, यही वजह है कि ई-कॉमर्स, बैंकिंग, टेलीकॉम कंपनियों समेत सभी कंपनियों को मैसेज में कोई भी लिंक भेजने से परहेज करने को कहा गया है. साइबर अपराधी कंपनियों के नाम पर लिंक भेजकर लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं, ऐसे में लिंक भेजने के लिए एंक्रिप्टेड मैसेज ही उचित है.

आईटी मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने यह कदम पहले ही उठा लिया है, आने वाले दिनों में सभी यह एहतियात बरतेंगे तो भ्रमित होकर फिशिंग वाले लिंक पर क्लिक करने वाले लोग निशाना बनने से बच जाएंगे.

कैसे होता है लिंक का दुरुपयोग

आपने गौर किया होगा कि अक्सर हमें आने वाले कई मैसेज में लिंक मिलते हैं, साइबर अपराधी अक्सर फिशिंग हमलों या मैलवेयर के लिए इन लिंक्स का इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिए वह आपको आसानी से निशाना बना लेते हैं.

ऐसे लिंक पर क्लिक करने से आपको पहचान की चोरी करने से लेकर वित्तीय नुकसान समेत कई सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ सकता है. हमलावर लिंक भेजने के लिए सर्वाधिक मैसेज का और ईमेल, सोशल मीडिया पोस्ट उपयोग करते हैं, इस दौरान उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के लिए कंपनियों के नाम का उपयोग करते हैं.

लिंक चेकर टूल का कर सकते हैं उपयोग

जरूरी होने की स्थिति में सबसे आसान तरीका है कि आप लिंक चेकर टूल का इस्तेमाल कर यह जाने की आपको मिला लिंक सुरक्षित है या नहीं? इस तरह के टूल्स आपको ऑनलाइन आसानी से मिल जाएंगे. ये टूल लिंक की जांच के लिए ऑनलाइन वेबसाइट सेवाओं और ब्लॉकलिस्ट डेटाबेस का इस्तेमाल करता है.